येशु मसीह, जो 2000 साल पहले इस पृथ्वी पर आये थे, एक ऐतिहासिक व्यक्ति थे जिन्होंने दुनिया के इतिहास और मानव जीवन को सबसे अधिक प्रभावित किया था। अब, देखो येशु मसीह शरीर धारण कर वापस आ गए हैं! देखो, इम्मानुएल मृत्यु को नष्ट करने और अन्नत उद्धार प्रदान करने जा रहा है!
येशु क्रिस्त: कल और आज
येशु क्रिस्त, जो दो हज़ार साल पहले इस पृथ्वी पर थे, वह ऐतिहासिक व्यक्ति हैं, जिन्होंने विश्व इतिहास और मानव जीवन को सबसे अधिक प्रभावित किया। येशु क्रिस्त के बारे में दुनिया में कई मत और शिक्षाएं प्रचलित हैं। लेकिन, बाइबिल हमें स्मरण दिलाती है, कि केवल प्रभु पिता ही जानते है, कि पुत्र वास्तव में कौन है और यदि पिता को वास्तव में येशु क्रिस्त को प्रकट करना है, तो प्रभु पिता को अपने पुत्र को उस एक व्यक्ति के सामने प्रकट करना होगा (मत्ती १६:१५-१७)। केवल वे ही, जो पिता द्वारा आकर्षित किए जाते हैं, पुत्र येशु क्रिस्त के पास आ सकते हैं (लूका १०:२१, योहन ६:४४)। प्रभु का वचन हमें स्मरण दिलाता है, कि अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए येशु क्रिस्त के सच्चे ज्ञान की आवश्यकता है और इसलिए केवल वे ही, जो इसके लिए निर्धारित हैं, येशु क्रिस्त के पूर्ण ज्ञान तक पहुँच सकते हैं (योहन १७:३)।
इस लेख में येशु क्रिस्त के बारे में जो कुछ
भी लिखा गया है, वह परिशुद्ध बाइबिल की ७३ पुस्तकों में लिखे प्रभु के वचन के आधार
पर है। यह लेख सांसारिक जानकारी या किसी मानवीय
तत्त्वज्ञान या विचार पर आधारित नहीं है। बल्कि,
यह पूरी तरह से उस जानकारी पर आधारित है, जो विश्वास और दैविक ज्ञान से आता है।
प्रभु ने अपने सभी प्रवाचकों के माध्यम से अपने पुत्र येशु क्रिस्त के बारे में भविष्यवाणियाँ कीं, पहले प्रवाचक मूसा से लेकर जो ३५०० साल पहले इस पृथ्वी पर रहते थे, योहन बपतिस्ता तक। लेकिन इनमें से केवल १५% भविष्यवाणियाँ येशु क्रिस्त में पूरी हुईं, जब वह २००० साल पहले पहली बार आए थे। लेकिन, येशु क्रिस्त ने घोषणा की, कि मूसा की व्यवस्था, प्रवाचको के लेखों और स्त्रोत-गीतों में उनके बारे में लिखी गई सभी भविष्यवाणियाँ पूरी होनी चाहिए (लूका २४:४४)।
यदि कोई पीछे मुड़कर देखता है, तो वह येशु क्रिस्त को देखेगा जिन्होंने क्रूस पर जीवन दिया, पुनरूत्थान हुए और स्वर्गारोहण किया और इस प्रकार उन भविष्यवाणियों में से केवल १५% को पूरा किया। जो भविष्यवाणियाँ पहले ही पूरी हो चुकी हैं, उन्हें मजबूती से पकड़ते हुए, यह लेख येशु क्रिस्त को देखने के लिए तत्पर है जो शेष 85% भविष्यवाणियों को पूरा करने के लिए आते हैं। येशु क्रिस्त के महिमामय प्रत्यागमन के साथ सभी भविष्यवाणियाँ १००% पूरी होंगी।
इस लेख में, येशु क्रिस्त और इम्मानुएल नाम का उपयोग किया गया है। ये नाम दो अलग-अलग व्यक्तियों को सूचित नहीं करते। दूसरी ओर, वे एक ही व्यक्ति, प्रभु के एकमात्र पुत्र, को दर्शाते हैं। येशु क्रिस्त वह नाम है, जिससे प्रभु के पुत्र को उनके प्रथम आगमन पर बुलाया गया था, जबकि इम्मानुएल वह नाम है, जो उन्हें उनके पिता द्वारा अनंत काल के लिए दिया गया था।
येशु क्रिस्त कौन हैं?
२००० साल पहले एक मनुष्य के रूप में इस पृथ्वी पर आने से पहले येशु क्रिस्त कौन थे? खैर, बाइबिल इसका उत्तर देती है। येशु क्रिस्त प्रभु के पुत्र है, एक सच्चे प्रभु के पहलौटे है; वह प्रभु के तत्व का सटीक प्रतिरूप है; सभी चीजें येशु क्रिस्त में और येशु क्रिस्त के द्वारा और येशु क्रिस्त के लिए सृष्टि की गई थीं (इब्रानियों १:२-३, कुलु. १:१५-१६)। बाइबिल साक्ष्य देता है, कि प्रभु का पुत्र वह प्रकाश है, जिस पर अंधकार विजय नहीं पा सकता और वह जो सारी सृष्टि का पालन-पोषण करता है (योहन १:१-५, २ पतरस ३:१-७)। येशु क्रिस्त जो मनुष्य बने, प्रभु और मनुष्यों के बीच एकमात्र मध्यस्थ है (१ तीमु. २:१५)।
२००० साल पहले येशु क्रिस्त इस धरती पर क्यों आये थे?
प्रभु का वचन साक्ष्य देता है, कि प्रभु ने अपने बच्चों को स्वयं प्रभु के समान अमर, अविनाशी, शक्तिशाली और महिमामय बनाया और उन्हें सारी सृष्टि पर प्रभुत्व दिया (उत्प. १:२६-२८, प्रज्ञा. २:२३, .प्रज्ञा १:१३-१४, प्रवक्ता. १७:३-४)। लेकिन पहले माता-पिता, जो प्रभु के सच्चे वचन के साथ बनाए गए थे, उन्होंने शैतान से झूठ (प्रभु के वचन के विपरीत, जो कुछ भी है , वह झूठ है) प्राप्त किया और पाप किया और बीमारी, बुढ़ापे और मृत्यु के गुलाम बन गए (उत्प. २:१-१९)। प्रभु के सभी बच्चें, जो इस पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में जन्म लेने वाले थे, वे आदम में निवेशित किए गए थे (प्रेरितों १७:२६) और इस प्रकार जब आदम ने पाप किया, तो उससे उत्पन्न होने वाले सभी मनुष्यों ने उस पाप में भाग लिया (इब्रानियों ७:९-१०)। इसलिए विशुद्धग्रंथ घोषणा करता है, कि सभी पापी हैं (गला. ३:२२, १ योहन. १:८)। इसलिए, मृत्यु जो पाप का वेतन है, आज भी सभी में मौजूद है (रोमियों ५:१२)। इस प्रकार सभी मनुष्य और सारी सृष्टि जीर्णता के अधीन हो गई (रोमियों ८:१९-२०)।
अपने बच्चों को इस जीर्णता से मुक्ति दिलाने के लिए उनके पापों का प्रायश्चित करना प्रभु की नीति है। परन्तु आदम से उत्पन्न प्रभु के सभी बच्चों का रक्त पाप के कारण अशुद्ध हो गया और जीर्णता के अधीन है। यह प्रभु द्वारा दिया गया नियम है, कि बलि की वस्तु किसी भी निश्कलंक होनी चाहिए। मनुष्यजाति का शरीर और रक्त, जो पाप और जीर्णता के अधीन हो गया, अपने पापों का प्रायश्चित नहीं कर सकते(रोमियों ५:१२)। इसलिए प्रभु, जो अपने बच्चों के लिए स्नेह से भरे हुए थे, उन्होंने प्रभु के बच्चों के पापों का प्रायश्चित करने के लिए अपने पुत्र को भेजने का फैसला किया।
प्रभु पिता ने अपने सभी बच्चों का पाप अपने पहिलौठे येशु क्रिस्त पर डाल दिये, जिसमें कोई पाप नहीं था। अपने भाइयों के प्रति अपने अगाध स्नेह के कारण, येशु क्रिस्त ने सभी पापों का दंड अपने शरीर पर ले लिया और प्रायश्चित के रूप में खुशी-खुशी अपना शरीर और रक्त अर्पित किया, और प्रभु के बच्चों को उनके सभी पापों से शुद्ध कर दिया (यशायाह ५३:४-१२, रोमियों ८:३, १ योहन. १:७, मत्ती १:२०-२१)। इस प्रकार, २००० साल पहले इस पृथ्वी पर येशु क्रिस्त के पहले आगमन का उद्देश्य प्रभु के सभी बच्चों को पापों की क्षमा की मुक्ति देनी थी।
२००० साल पहले येशु क्रिस्त का जन्म इस पृथ्वी पर कैसे हुआ था?
प्रभु के पुत्र, येशु क्रिस्त ने प्रभु के साथ समानता को शोषण की वस्तु नहीं माना, बल्कि स्वयं को खाली कर दिया और दास का रूप धारण करके इस धरती पर मानव समानता में जन्म लिया (फिलि. २:५-८)। प्रभु के पुत्र, जो वचन की आत्मा के रूप में प्रभु पिता के साथ रहते थे, २००० साल पहले परिशुद्ध आत्मा द्वारा इस पृथ्वी पर लाये गये (योहन १:१-५, योहन ६:६३)। परिशुद्ध कुँवारी मरियम को यह आत्मा प्राप्त हुई, जोकि प्रभु का वचन है और उनके विश्वास द्वारा, यह वचन ने उनके गर्भ में शरीर प्राप्त किया। इसका मतलब यह है, कि प्रभु के बच्चों के पापों के प्रायश्चित के लिए आवश्यक शरीर और रक्त परिशुद्ध कुँवारी मरियम के गर्भ में उनके विश्वास द्वारा उत्पन्न हुआ(रोमियों ३:२१-२६)। इसी जन्म के बारे में ही प्रभु का वचन साक्ष देता है, कि वचन ने देहधारण कर हमारे बीच में वास किया(योहन १:१४)। सभी मनुष्य रक्त से या शरीर की इच्छा से या मनुष्य की इच्छा से जन्म लेते हैं। लेकिन बाइबिल साक्ष देता है, कि कुछ ऐसे भी हैं, जो पूरी तरह से मनुष्य रूप में जन्मे, परंतु इस रीति से नहीं, बल्कि प्रभु से जन्मे हैं। इससे यह स्पष्ट है, कि येशु क्रिस्त २००० वर्ष पहले प्रभु से ऐसे जन्म लेकर इस पृथ्वी पर आये थे (योहन १:१३)।
क्या येशु क्रिस्त इस पृथ्वी पर वापस आएंगे?
जो लोग परिशुद्ध बाइबिल में लिखे प्रभु के वचन पर विश्वास करते हैं, उनके लिए येशु क्रिस्त के दूसरा आगमन में उनका इस पृथ्वी पर शरीर में आना एक विश्वास का सिद्धांत है। निःसंदेह, येशु क्रिस्त कैसे, कब और कहाँ आएंगे, इसे लेकर विश्वासियों में मतभेद हैं। येशु क्रिस्त ने स्पष्ट रूप से कहा था, कि वह अंतिम समय में इस पृथ्वी पर फिर से आएंगे और जो उनके अपने हैं, उन्हें अपने साथ स्वर्ग में ले जाएंगे(योहन १४:१-३)। प्रभु पिता ने दो स्वर्गदूतों को इस धरती पर भेजा और अपने पुत्र के इस प्रतिज्ञा की पुष्टि की(प्रेरितों १:११)।
तो येशु क्रिस्त को कहाँ वापस आना है? उन्हें इस पृथ्वी पर ही वापस आना है। वह वापस कैसे
आएंगे? वह शरीर धारण कर वापस आएंगे(गला. ४:४,
१ योहन ४:२, लूका १८:८)। लेकिन येशु क्रिस्त
का इस पृथ्वी पर दूसरा आगमन और उस समय उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य दैवीय रहस्य
हैं, जो केवल अंतिम समय में ही प्रकट होंगे। पिछली शताब्दी के दौरान परिशुद्ध कुँवारी
मरियम संसार में 300 से अधिक स्थानों पर शारीरिक रूप में प्रकट हुईं और उन्होंने प्रभु
के लोगों को प्रभु के पुत्र येशु क्रिस्त के दूसरे आगमन के लिए खुद को तैयार करने के
लिए प्रेरित किया।
येशु क्रिस्त ने उनके वापस आने तक क्या व्यवस्थाएँ कीं?
येशु
क्रिस्त ने अपने प्रेरितों को उनके वापस आने तक पूरा करने के लिए तीन कर्तव्य दिए। येशु क्रिस्त ने उन्हें आदेश दिया कि, वे जाकर सभी
लोगों को उनका शिष्य बनाएं और उन्हें पिता, पुत्र और परिशुद्ध आत्मा के नाम पर बपतिस्मा
दें। इसके अलावा, उन्होंने प्रेरितों को आदेश दिया कि वे शिष्यों को केवल वही अज्ञात
पालन करना सिखाएं जो उन्होंने उन्हें सिखाया(मत्ती २८:१८-२०)। जो लोग इस प्रकार उनके शिष्य बनते हैं, वे उनकी
भेड़ें हैं और येशु क्रिस्त ने शिमोन पतरस को अपनी भेड़ों को चराने और उनकी देखभाल
करने के लिए नियुक्त किया था(योहन २१:१५-१७)
प्रेरितों और उनके बाद आने वालों का कर्तव्य यह था, कि वह एक रेवड़ को तैयार करें, जो येशु क्रिस्त के शिष्य हों और उनकी प्रतीक्षा करें और येशु क्रिस्त के दोबारा आने पर इस रेवड़ को येशु क्रिस्त को प्रस्तुत करें। इसके अलावा, शैतान के साथ एक अंतिम लड़ाई होनी है और इन चरवाहों को येशु क्रिस्त की भेड़ों की रक्षा करनी हे, ताकि शैतान उनकी भेड़शाला में घुसकर उन्हें नुकसान न पहुँचाए(यहेजकेल १३:५)। उन्हें यह कर्तव्य तब तक करना है, जब तक चरवाहों का मुखिया येशु क्रिस्त (जो भेड़ों का यजमान भी है) वापस नहीं आ जाते(१ पतरस ५:१-४)।
येशु क्रिस्त ने ऐसी आज्ञा क्यों दी? प्रभु की इच्छा यह है, कि प्रभु के लोगों को प्रभु के भवन - चर्च - के रूप में निर्मित किया जाए जिसकी नींव प्रेरितों और प्रवाचकों पर हों। प्रभु के पुत्र, इम्मानुएल प्रभु के इस भवन के आधारशिला है (इफिसियों २:२०-२२)। यह केवल अंतिम समय में है, कि प्रभु इम्मानुएल (येशु क्रिस्त, जो इस संसार में फिर से आते हैं) को अपने चर्च की आधारशिला के रूप में रखेंगे। यह भविष्यवाणी जो प्रभु ने सहस्राब्दियों पहले यशायाह प्रवाचक और दावीद के माध्यम से घोषित की थी, उसे प्रेरित पतरस के माध्यम से भी दोहराया गया है (ईसा. २८:१६, भजन. ११८:२२-२३, १ पतरस २:४-८)।
प्रभु
द्वारा येशु क्रिस्त को सौंपी गई मुक्ति की योजना तभी पूरी होती है, जब वह इस रेवड़
- चर्च - को प्रभु पिता को प्रस्तुत करते है, जो अपने बच्चों से मिलने आ रहा है। हाँ, प्रभु पिता अपने बच्चों से मिलने आ रहे हैं! लेकिन इस रेवड़ को प्रस्तुत किए जाने से पहले परिशुद्ध,
निर्दोष और दोषरहित होना होगा और अविनाशी और अमर बनाया जाना होगा (कुलुस्सियों १:२२,
फिल ३:२०-२१)। प्रभु का वचन साक्ष देता है,
कि येशु क्रिस्त सभी शासन, अधिकार और शक्ति को नष्ट कर देंगे और फिर इस रेवड़ को प्रभु
पिता को समर्पित करेंगे। तब अंत आएगा (१ कुरिं.
१५:२४)।
येशु क्रिस्त का महिमामय प्रत्यागमन
ये देखो, येशु
क्रिस्त दोबारा अब फिर से इस पृथ्वी पर देहधारण कर आये हैं! आज, उन्हें इम्मानुएल नाम से बुलाया जाता है, जो
प्रभु के पुत्र का एकमात्र नाम है, जिसे प्रभु ने २७०० साल से भी पहले यशायाह प्रवाचक
को बताया था। येशु क्रिस्त का दूसरा आगमन और उनका महिमामय प्रत्यागमन एक ही घटना नहीं
है, बल्कि दो अलग-अलग घटनाएँ हैं। हालाँकि
ये दोनों घटनाएँ अंत समय में घटित होती हैं, फिर भी इन दोनों घटनाओं के बीच एक समय
काअंतराल है। येशु क्रिस्त का दूसरा आगमन अंतिम
समय में स्वर्ग से इस पृथ्वी पर शरीर में आना है।
लेकिन इस पृथ्वी पर कुछ समय तक रहने के बाद सारी महिमा में प्रभु के पुत्र का
प्रकट होना, यही इम्मानुएल का महिमामय प्रत्यागमन।
अब हम प्रभु के पुत्र इम्मानुएल के दूसरे आगमन और महिमामय प्रत्यागमन के बीच के समय में जी रहे हैं।
प्रत्येक को उनके कार्यों के अनुसार प्रतिफल देने के लिए येशु क्रिस्त महिमा के साथ प्रकट होंगे (प्रका. २२:१२-१३, मत्ती १६:२७)। उन्होंने प्रतिज्ञा की है, कि वह उन लोगों को अनन्त जीवन देंगे, जो उन्हे अपने मुक्तिदाता, प्रभु और राजा के रूप में स्वीकार करते हैं, उनके नाम पर विश्वास करते हैं और उनकी प्रतीक्षा करते हैं (इब्रा. ९:२८, फिल. ३:२०-२१, योहन. १:१२) , योहन ३:१६)। बाइबिल हमें सिखाता है, कि हमें उत्सुकता, स्नेह, धैर्य, परिशुद्धता, प्रार्थना और समभाव के साथ और हृदय में किसी भी मूर्ति के बिना उनकी प्रतीक्षा करनी चाहिए।
लेकिन, इम्मानुएल पापियों को भी दण्ड देने आ रहे है (यशा. १३:९)। लेकिन बहुत से लोग इस तरह सोचते हैं: 'पहले येशु क्रिस्त को खुद को प्रकट करने दें और फिर हम सोचेंगे कि हम क्या कर सकते हैं।' लेकिन बाइबिल साक्ष देता है, कि जब इम्मानुएल खुद को नीतिमान न्यायाधीश के रूप में प्रकट करेंगे, तो लोगों को पश्चाताप करने और सुधारने का अवसर नहीं मिलेगा (प्रका ९:२०-२१)। दूसरी ओर, जब पृथ्वी के निवासी मनुष्य के पुत्र को सामर्थ्य और अपार महिमा के साथ बादलों पर आते देखेंगे, तो वे भय से कांप उठेंगे और संसार में जो कुछ होनेवाला है, उसका पूर्वाभास करके छाती पीटेंगे। (लूका २१:२५-२६, मत्ती २४:३०)। इसलिए येशु क्रिस्त ने अपने लोगों को युग के अंत में पृथ्वी पर आने वाले सभी दंडों से बचने और अनन्त न्यायाधीश, इम्मानुएल के सामने खड़े होने के योग्य बनने के लिए प्रार्थना और तैयारी में रहकर हमेशा सतर्क रहने के लिए प्रोत्साहित किया। (लुक २१:३४-३६)
यह
पश्चाताप करने और प्रभु पिता के पास लौटने और स्वयं को प्रभु के पुत्र के सामने प्रस्तुत
करने के लिए तैयार होने का समय है।
मुक्ति की पूर्णता जो येशु क्रिस्त देने जा रहे हैं!
प्रभु
पिता ने मनुष्य को स्वयं प्रभु के समान अमर, अनश्वर, महिमामय, शक्तिशाली और शाश्वत
रूप से युवा बनाया (उत्प. १:२६-२७, प्रवक्ता १७:३-४, प्रज्ञा २:२३-२४)। परन्तु वे पाप करके मृत्यु और जिर्णता के गुलाम
बन गए। आज भी मनुष्य रोग, बुढ़ापा और मृत्यु
के अधीन हैं। जिर्णता सभी मनुष्यों और समस्त
सृष्टि में विद्यमान है। उन्हें मुक्ति तभी
मिलती है, जब पाप के कारण उत्पन्न गुलामी नष्ट हो जाती है और अदन के वाटिका में जो
कुछ उन्होंने खोया था, वह सब उन्हें वापस मिल जाता है। शरीर की यह विमुक्ति प्रभु द्वारा प्रतिज्ञा किया
गया अनन्त जीवन या यथार्थ मुक्ति है। यह प्रभु
की सन्तान के रूप में दत्तक लिया जाना है, जिसका प्रभु के लोग आन्तरिक कराह के साथ
इंतजार कर रहे हैं (रोमियों ८:१८-२४)।
परिशुद्ध बाइबिल में जिस मुक्ति की पूर्णता की प्रतिज्ञा की गई है, वह तथाकथित अवस्था नहीं है, जब शरीर मिट्टी में लौट जाता है और आत्मा मृत्यु के बाद शरीर से मुक्त हो जाती है। एक संपूर्ण मनुष्य शरीर, मन और आत्मा से मिलकर बना होता है। तो मुक्ती की पूर्णता मनुष्य के इन तीनों पहलुओं की मुक्ति है। येशु क्रिस्त मृतकों को शारीरिक पुनरुत्थान और जीवितों के रूपान्तरण के माध्यम से प्रभु की संतानों को मुक्ति की यह परिपूर्णता देंगे। (रोम. ८:१८-२४, फिल. ३:२०-२१)
प्रभु
का वचन सिखाता है, कि येशु क्रिस्त ही एकमात्र मुक्तिदाता है, जो यह मुक्ति देते हैं। येशु क्रिस्त ने मुक्ति की यह परिपूर्णता तब नहीं
दी, जब वे २००० वर्ष पहले इस पृथ्वी पर आए थे।
अपने पहले आगमन में, वह प्रभु के बच्चों के पापों का प्रायश्चित करने और इस
प्रकार उन्हें प्रभु के साथ मिलाने के लिए क्रूस पर अपना जीवन अर्पित करने आए थे। इसका मतलब यह हैं, कि येशु क्रिस्त ने पिछले २०००
वर्षों से उन पर विश्वास करने वालों को केवल पापों की क्षमा (मुक्ति का पहला फल) का
उद्धार दिया।
प्रभु के पुत्र मुक्ति की पूर्णता तभी देते हैं, जब वह इस धरती पर फिर से शरीर धारण कर आते है। बाइबिल साक्ष देता है, कि यह मुक्ति केवल अंतिम समय में ही प्रकट होगी (१ पतरस १:५)। बाइबिल में लिखा है, कि इस मुक्ति के माध्यम से प्रभु के पुत्र येशु क्रिस्त मृत्यु को हमेशा के लिए मिटा देंगे और प्रभु के संतान इस पृथ्वी पर ही अमर और अनश्वर हो जाएंगे (१ कुरिं. १५:४८-५५)।
जिस तरह हमने मिट्टी के बने मनुष्य का रूप धारण किया है, उसी तरह हम स्वर्ग के मनुष्य का भी रूप धारण करेंगे। भाइयो! मेरे कहने का अभिप्राय यह है कि निरा मनुष्य प्रभु के राज्य का अधिकारी नहीं हो सकता और नश्वरता अनश्वरता की अधिकरी नहीं होती। मैं आप लोगों को एक रहस्य बता रहा हूँ। हम सब नहीं मरेंगे, बल्कि क्षण भर में, पलक मारते, अन्तिम तुरही बजते ही हम सब-के-सब रूपान्तरित हो जायेंगे; तुरही बजेगी, मृतक अनश्वर बन कर पुनर्जीवित होंगे और हम रूपान्तरित हो जायेंगे; क्योंकि यह आवश्यक है कि यह नश्वर शरीर अनश्वरता को और यह मरणशील शरीर अमरता को धारण करे। जब यह नश्वर शरीर अनश्वरता को धारण करेगा, जब यह मरणशील शरीर अमरता को धारण करेगा, तब धर्मग्रन्थ का यह कथन पूरा हो जायेगा: मृत्यु का विनाश हुआ। विजय प्राप्त हुई। मृत्यु! कहाँ है तेरी विजय? मृत्यु! कहाँ है तेरा दंश? (१ कुरिं. १५:४९-५५)
प्रभु के पुत्र इम्मानुएल यह मुक्ति देने के लिए अब फिर से आये है!
सृष्टि के समय, प्रभु पिता ने मनुष्य को मिट्टी से रूप दिया (उत्पत्ति २:७)। जब दैविक जीवन को मिट्टी में निवेश कराया, तो वह जीवित मांस और रक्त में बदल गया। जब मनुष्य ने पाप के कारण यह जीवन खो दिया, तो मांस एक बार फिर मिट्टी बन गया (उत्पत्ति ३:१९)। लेकिन जब दैविक जीवन फिर से मांस में स्थापित किया जाएगा, तो शरीर अनन्त जीवन से भर जाएगा। तब वह मांस जो मिट्टी है, अनश्वर शरीर में रूपांतरित हो जाएगा। प्रभु के पुत्र, इम्मानुएल अब इस अनन्त जीवन के साथ आये हैं (१ योहन ५:१०-१२, फिलि. ३:२०-२१)
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