नई पृथ्वी और शाश्वत नगर

यह पृथ्वी और इसमें जो कुछ भी है - उसे हटा दिया जाना है, इस पृथ्वी पर हमारा कोई स्थायी नगर नहीं है। स्वर्गीय सियोन परिशुद्धि का एक निवास है, जो शैतान से अस्पर्ष है और बुराई से बेदाग है।

नई पृथ्वी और शाश्वत नगर

नई पृथ्वी और शाश्वत नगर

यह वर्तमान आकाश और पृथ्वी, प्रभु के वचन के द्वारा सृष्टि और संभाले गई है और जब यह वचनों को हटाया जाएगा यह सब नष्ट हो जाएंगा (२ पतरस ३:५-७)। यह पृथ्वी जो शैतान के आधिपत्य के अधीन है, यह नष्ट की जाएगी (२ पतरस ३:१०)। ताकि जो कभी न हटाया जा सकें, वह सदा बने रहने के लिए सब कुछ जिसकी सृष्टि की है- यह पृथ्वी, पृथ्वी पर प्रस्तुत सब कुछ और स्वर्गों‌ को- सब कुछ को हटाया जाना है (इब्रानियों १२: २६-२८)। जब यह आकाश और पृथ्वी गुजर जाएंगे, तब सब कुछ का पूर्तिकरण होगा (मत्ती ५:१८)। प्रभु के बच्चों के लिए इस पृथ्वी पर कोई भी शाश्वत नगर नहीं है (इब्रानियों १३:१४)।

प्रभु पिता ने एक योजना बनाई, ताकि प्रभु के बच्चें, जो परदिसा से बहार निकले गये, वे शैतान को हराकर, उसे नष्ट कर सकें, और इस प्रकार जो कुछ उन्होंने खो दिया था, उसे फिर से प्राप्त कर, वे प्रभु की ओर लौट आए (यिर्मयाह २९:२१-१४)। लेकिन प्रभु अपने बच्चों को एक साधारण वाटिका में नहीं, बल्कि एक महान और शाश्वत नगर में वापस लेकर जा रहे हैं।  यह स्वर्गीय सियोन, जिसके बारे में महान कार्य कहे जाते हैं, इसके वास्तुकार और निर्माता प्रभु है (भजन संहिता ८२:१-३, इब्रानियों ११:१०)। यह नगर परिशुद्धि का निवास है, और न शैतान इसे छू सकता है और न बुराई की बदबू यह उठ सकती है। यहां प्रभु के पहलौटे प्रभु पिता के अवकाशी और येशु क्रिस्त (इम्मानुएल) के सह-अवकशी बनते हैं(रोमियो ८:१५-१७)। प्रभु पिता ने एक शाश्वत संपत्ति बनाई है, जिसे न किसी मनुष्य की आंखों ने देखा है और न कानों ने सुना है (1 कुरिन्थियों २:९, प्रकाशन २१:१०-२७)। प्रभु के बच्चें, जो तब सारे स्वर्गीय आत्मीय अनुग्रह से भर जाएंगे, वे सारी शक्ति और अधिकार के साथ प्रभु संग वास करेंगे। (प्रकाशन २१:१-३)। वह आधिपत्य जो प्रभु के बच्चों ने सारे सृष्टि पर आनंद के साथ आजमाया, वहां पर फिर से पुन:स्थापित होगा।

यह शाश्वत नगर उस नई पृथ्वी पर स्थापित किया गया है, जिसकी प्रभु पिता ने हमसे प्रतिज्ञा की है (२ पतरस ३:१३, प्रकाशन २१:१)। यह नई पृथ्वी और इसकी जगह मनुष्य से छुपाई गई है, जो काम से कम सैद्धांतिक तौर पर, इस प्रपंच के किनारों तक पहुंच गया है। स्वर्गदूत और केरूब इस नगर की सुरक्षा करते हैं, ताकि यह नगर प्रभु पिता द्वारा निर्धारित समय पर ही प्रकट हो।

वास्तव में, येशु क्रिस्त की प्रतिज्ञा यही थी, कि वह इस नगर में हमारे लिए निवास स्थान बनाएंगे और हमें अपने संग ले जाएंगे, जिससे कि हम सदा उनके साथ रहे (योहन‌ १४:१-३)। इसलिए उन्होंने अपने प्रियजनों से कहा, कि वे इस संसार में धन इकट्ठा न करें, बल्कि स्वर्ग में उसे इकट्ठा करें (मत्ती ६:१९-२०)। इसलिए परिशुद्ध आत्मा भी यह चेतावनी देते हैं, कि जिन्होंने  येशु क्रिस्त में अपनी प्रत्याशा केवल इस सांसारिक जीवन के लिए रखी है, वे लोग सारी जानताओं में सबसे निर्भाग्यशाली है(१ कुरिन्थियों १५:१९)। यही वह कारण है, कि प्रभु ने हमें यह आज्ञा दी, कि हम इस संसार के मित्र न बने और न इस संसार से स्नेह करें (याकुब ४:४, १ योहन २:१५-१७)। येशु क्रिस्त ने हमें यह भी चेतावनी दी है, कि जो उनके अपने हैं, उन्हें यह संसार नफरत करेगा (योहन १५:१८-१९)।

अब्राहम ,इसहाक ,याकूब और बाकी नीतिमान लोगों को इस शाश्वत नगर के छोटे नमूने प्रभु के द्वारा दिखाये गये थे। इसीलिए वे इस पृथ्वी पर परदेशी बन रहने में खुश थे (इब्रानियों ११:१३)। प्रभु की सबसे महान प्रतिज्ञाएं है, अनंत जीवन और शाश्वत नगर। प्रभु की शपथ है, कि वे इन प्रतिज्ञाओं को अपने बच्चों को देंगे और यह प्रभु के बच्चों की विरासत भी है (इब्रानियों ६:१६-१९, रोमियों ८:१५-१७)।

प्रकाशन २२:१-५ - इसके बाद उसने मुझे सफटिक-जैसे संजीवन-जल की नदी दिखायी, जो प्रभु  और मेमने के सिंहासन से बह रही थी। नगर के चौक के बीचों-बीच बहती हुई नदी के तट पर, दोनों ओर एक जीवन-वृक्ष था, जो बारह प्रकार के फल, हर महीने एक बार फल, देता था। उस पेड़ के पत्तों से राष्ट्रों की चिकित्सा होती है। वहाँ कुछ भी नहीं रहेगा, जो अभिशाप के योग्य हो। वहाँ प्रभु और मेमने का सिंहासन होगा। उनके सेवक उनकी आराधना करेंगे वह उन्हें आमने-सामने देखेंगे और उनका नाम उनके माथे पर अंकित होगा। वहाँ फिर कभी रात नहीं होगी। उन्हें दीपक या सूर्य के प्रकाश की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि प्रभु पिता उन्हें आलोकित करेंगे और वे युग-युगों तक राज्य करेंगे।

परंतु सिर्फ प्रभु के परिशुद्ध जन, जिनका नाम जीवन के ग्रंथ में लिखा है ,इस नगर में प्रवेश करेंगे। जो कोई प्रभु के पुस्तक की बातों से कुछ निकलेगा या उन्में कुछ जोड़ देगा, वह न केवल इस नगर में प्रवेश करने से रोका जाएगा, बल्कि प्रभु के पुस्तक में लिखी महामारियों और विपत्तियों से उसे दंडित किया जाएगा (प्रकाशन २२:१८-१९)।

प्रकाशन २२:१४-१५ - धन्य है वे, जो अपने आचरण- रूपी वस्त्र धोते हैं; वे जीवन- वृक्ष के अधिकारी होंगे और फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे। कुत्ते, ओझे,‌ व्यभिचारी, हत्यारे, मूर्तिपूजक‌, असत्य से प्रेम करनेवाले और मिथ्याचारी बाहर ही रहेंगे।

तो अभी प्रभु आज्ञा देते हैं, कि उनके बच्चें उनके वचनों को सुने, पश्चाताप करें और उनकी ओर लौट आएं।

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वह अपनों के पास आया, और उसके अपने लोगों ने उसे स्वीकार नहीं किया। परन्तु जितनों ने उसे स्वीकार किया, और उसके नाम पर विश्वास किया, उन सभों को उसने प्रभु की सन्तान बनने का सामर्थ दिया (योहन १:११-१२)।

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